अपने ही देश मे पुरे साल भर मे लगभग एक महीने की धार्मिक य़ात्रा सकुन से पूरी ना हो सकी इससे चिंताजनक स्थिती और क्या हो सकती है. अलगाववादियों ने इस बार हमारी एकता और सहनशिलता की परीक्षा ली है ज़िसमे जम्मु कश्मीर राज्य की सरकार लाचार और लापरवाह लगी और केन्द्रीय सरकार ने भी ज्यादा भाव नहीं दिया. हमारी सभी सरकारें हज य़ात्रा के समय हमारे हिन्दुस्तानी मुस्लिम भाईयों को सुरक्षा और रियायती सहुलियत देने मे कोई कसर नहीं रखती हैं उसी तरह अगर सरकार चाहती, तो य़ात्रा के लिये कश्मीर मार्ग के जगह, जम्मु-पहलगाम-जम्मु तक य़ात्रियों के लिये रियायती दर पर हेलिकोप्टर सेवा दे सकती थी. हमारी अब तक की सभी दलों की सरकारों ने हज य़ात्रा का पुरा शबाब तो लिया पर हमारी धार्मिक य़ात्रायों मे सिर्फ आपदा की स्थिती मे ही पुण्य लाभ किया.
हर हर महादेव.
अगर यही यात्रा मुस्लिमों के तरफ से होती तो सब कुछ बढ़िया से इंतज़ाम कर दिया जाता, मुस्लिमों को हज के लिए भीख दिया जाता है और हमें अपने हाल पर छोड़ दिया जाता है की मरो या डुबो , इस देश में अगर कोई हिन्दू अपने धरम की बात कर दे तो वो साम्प्रदायिक कहलाते है, और कोई मुस्लिम कितना भी बड़ा दंगा करा दे तो कुछ नहीं बोलता, अगर हिन्दू में होली में रंग खेल ले तो पर्यवरण को नुकसान होता है, और मुस्लिम बकरीद पर खून की होली खेले तो उसका मजहब का मामला है, अगर हिन्दू मूर्ति विसर्जन के लिए निकले तो ट्रैफिक जाम और मुस्लिम ईद-बकरीद पर सड़क पर बैठ जाये तो ईद मुबारक, हम तो उन हिन्दुओं को ही लानत मानते है जो मुस्लिमो को ईद मुबारक कहते फिरेंगे, कभी किसी मुस्लिम को सुबह दीपावली कहते सुना है किया, वो हिन्दू ही है जो अजमेर चादर चढाने जायेगे कभी किसी मुस्लिम को पुष्कर जाते देखा है क्या
ReplyDeleteभाई, इन प्रश्नों के उत्तर ज्यादातर लंबे ही होंगे क्यों कि यह हमारे दिल और धर्म का मामला है जहाँ हमें हर जगह टोका जाता है । वैसे आपने लगभग सभी मुद्दों पर चर्चा की है
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