Tuesday, October 17, 2017

यादें : एक पिता की, एक पुत्र की

अब मेरे पास शेष हैं पिताजी की यादें...

क्यूँकि पिता जी नहीं रहे। दिनांक 14.10.2017 को 00.15 बजे पी. एम. सी. एच के इमरजेंसी वार्ड में उन्होने अन्तिम साँस ली । ईश्वर उनकी दिवंगत आत्मा को शांति दे।

पिताजी, दो भाइयों में बड़े होने के कारण पारिवारिक जिम्मेदारियों का पालन भी बखूबी से किया। मेरे दादा जी, धरहरा इस्टेट के मुख्य अमीन थे, और वे इस्टेट  के कार्यों में ज्यादा व्यस्त रहते थे, जिसके कारण घर की देखरेख की सारी जिम्मेदारी पिता जी के काँधों पर थी । पिता जी ने हमेशा पारिवारिक सामंजस्यता बनाये रखने और पूरे कूनबे को बाँधे रखने की परम्परा को प्राथमिकता दी । अपने से सभी छोटे भाईयों के प्रति वात्सल्य का भाव रखा ।स्वयं स्थानीय ग्रामीण हाई स्कूल तक की  शिक्षा  प्राप्त की, पर अपने अनुज भाई को पटना स्थित पटना विश्वविद्यालय से उच्चस्तरीय शिक्षा दिलायी और उन्हें मैकेनिकल इंजीनियर बनाने में पूरा सहयोग किया ।  मेरे आदरणीय चाचाजी बोकारो स्टील के पावर प्लांट से डिप्टी मैनेजर के पद से सेवानिवृत हो चुके हैं ।

अपने समय के व्यवस्थित और समृद्ध किसान थे, जिन्होंने,  गाँव की माटी से माँ के दुलार सा रिश्ता संजोए रखा था, पर हमलोगों के उज्जवल भविष्य के खातिर उन्हें अपने जड़ से उखड़ कर कंक्रीट के शहर में जी तोड़ मेहनत करना शुरू किया । हमेशा  अपनी निजी सुख सुविधाओं का परित्याग करते हुए हमारी माताजी और  हमसब भाई-बहनों को असुविधाओं की तपिश महसूस नहीं होने दिया । हम सब के लालन-पालन, बेहतर शिक्षा, जरुरी-गैरजरूरी मागों को पूरा करने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी । समय-समय पर अपने सामाजिक और सांसारिक उत्तरदायित्वों का निर्वाह किया ।