Wednesday, August 21, 2019

..बाहर बारिश अपने पूरे शबाब पर थी, मैने सोचा कि चलो देखते हैं.. और कान उमेठ दी, पवनदूत की.. कुछ ही मिनटो मे एक कट आया और हमने कट लिया.. रास्ता बारिश मे थोडा़ उबड़ खाबड़ हो रहा था पर ठीक था।
...करीब 1500 मीटर अंदर आने पर जो दिखा वो दिल को खुश करने के लिए काफी था। .. घनी बारिश मे मैदानो से पहाडों तक हरियाली फैला थी, पहाडो़ से चलकर झरने कदमों को चूम रहे थे, धुंध ने रास्तों को यूँ ढक रखा था मानों वे उन्हें बुरी नजरों से बचाना चाह रही थीं। 


बाबा गुप्तेश्वर नाथ धाम की बाइक यात्रा

बाबा गुप्तेश्वरनाथ धाम की बाइक यात्रा

...सावन माह, यानि देवों के देव महादेव की आराधना करने, उन्हें प्रसन्न करने का खास वक्त। साल के इस महीने में सभी नर-नारी, इस वक्त को अपनी-अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु यथा शक्ति येन-प्रकरेण, भोलेनाथ की कृपा दृष्टि पाने में जुट जाते हैं। इसी भाव से मैं भी कुछ करने की कोशिश में लगा हुआ था।

.....दिन बुधवार तारीख़ 6 जुलााई 2017, अपने कार्यालय में रोज की तरह खुद को काम में जोते हुए था। उसी समय, मेरे कार्यालय के विद्युत  विभाग में कार्यरत कर्मी राकेश कुमार आजाद  ने यह कहते हुए मेरा ध्यान बंटाया कि सर, सावन आने वाला है कुछ लोग पहली सोमवारी को बाबा गुप्तेश्वरनाथ धाम जाने वाले हैं क्या आप चलेंगेपता नहीं, राकेश ने यह प्रस्ताव किस भाव से दिया, मुझे लगा कि चलो बुलावा आया है बाबा ने बुलाया है । अंतर्मन ने भौतिक मन से पहले ही हामी भर दी; तो मुंह से हामी भरना; मात्र  औपचारिकता बन कर रह गयी ।

परकहते है ना कि ये  दिल मांगे मोर..., एक क्षण गँवाये बिना मैने कहा कि बाईक से चलते हैं । उसने पूछा - कितने घंटे लगेंगे? यह सवाल मेरे लिये केबीसी का सात  करोड़ का प्रश्न बन गया, क्योंकि बाबा गुप्तेश्वरनाथ धाम  की मेरी यह पहली यात्रा थी। फिर, मैने  अपनी लाइफ लाइन फोन अ फ्रेंड का उपयोग करते हुए खोजी बाबा को फोन खड़काया. .अरे भाई अपने गूगल बाबा। मैने उनकी  सेवाओं का लाभ लेते हुए पटना से  गुप्तेश्वरनाथ धाम के मार्ग का पता माँगा और बाबा  बड़े चमत्कारी ठहरे; इधर की-बोर्ड पर इंटर का बटन दबाया, उधर गूगल अर्थ ने कम्प्यूटर स्क्रीन पर नीली रेखा खींच दीसाथ ही बता दिया कि - भईया राष्ट्रीय राजमार्ग 922 को अपना हमसफ़र बना कर 176 किलोमीटर चलना है करीब 5 से 6 घंटे लगेंगे। इसके लिए तुम्हेंपटना से फुलवारीशरीफ-दानापुर-बिहटा-कोइलवर-आरा-विक्रमगंज होते हुए सासाराम पहुंचना होगा  फिर सासाराम से बाबा गुप्तेश्वर नाथ धाम जाने के लिए दो रास्ते हैं एक रास्ता सासाराम से राष्ट्रीय राजमार्ग पर 1 किलोमीटर आगे बढ़ने पर बायीं  तरफ मुड़ जाता है जो पनारी (पेनारी ) घाट  होते हुए पहुंचता है  और दूसरा रास्ता उसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर 5 किलोमीटर आगे चलकर , शेरशाह सुरी के द्वारा बनवायेे प्रसिद्ध  ग्रैंड ट्रंक रोड पर पहुंचता है। ग्रैंड ट्रंक रोड पर करीब 5 किलोमीटर चलने के बाद, फिर बायीं ओर शिवसागर होते हुए  छोटकी चेनारी , बड़की चेनारी गांव , मलाहिपुर होते हुए उगहनी घाट के रास्ते बाबा गुप्तेश्वर नाथ धाम पहुंचता है।


यूँ तो, बिहार राज्य में भोलेनाथ की कई प्राचीन और प्रसिद्ध मन्दिर हैं। परकुछ विशेष और रहस्यमयी, जैसे रोहतास के जिला मुख्यालय सासाराम से सटे कैमूर की पहाड़ियों में स्थित बाबा गुप्तेश्वर नाथ धाम, बिहटा स्थित बाबा बिहटेश्वर नाथ मन्दिर, गया जिला के मखदुमपुर के पास बाणावर क्षेत्र में सुर्यान्गिरी पहाड़ी की चोटी पर स्थित सिद्धेश्वरनाथ महादेव मन्दिर, लखीसराय स्थित अशोक धाम मुख्य हैं। झारखंड राज्य बनने के पूर्व देवघर स्थित बाबा बैजनाथ धाम, जो द्वादश ज्योतिर्लिंगों मे से एक हैं और वासुकिनाथ धाम भी बिहार राज्य का ही हिस्सा थे। जो अपने-आप में लोक आस्था का जीता जागता स्वरूप है।

चूँकि, हम पहली बार हीं जा रहे थे, तो पहले से हमारा, कोई तय रास्ता नहीं था। हमारे सहकर्मी मनजी पासवान जो उधर के  स्थानीय निवासी भी  है और उन्हें उधर के रास्तों के बारे में अच्छी जानकारी है, ने बताया कि पनारी घाट से  यात्रा का पारंपरिक पैदल मार्ग है, पैदल ज्यादा चलना पड़ता है पर चढ़ाई कम है। उस रास्ते पर  यात्रियों का आवागमन ज्यादा रहता है तो उधर मूलभूत सुविधाएं जैसे दुकानें, पहाड़ी नदियों पर अस्थायी पुल इत्यादि हैं। पर, चेनारी, उगहनी घाट की तरफ से खड़ी चढ़ाई  है लेकिन उधर से  कम पैदल मार्ग चलना पड़ता है । जबकि, हमारे एक सहयात्री मनोज, जो  पहले  पनारी घाट से जा चुके थेउनका कहना था कि दूसरे तरफ  की चढ़ाई ज्यादा खड़ी है  और आप पहली बार जा रहे हैं  इसलिए  थोड़ी दिक्कत होगी ।

ये मेरी पहली यात्रा जो बाइक से होनी थी, साथ में पहाड़ की खड़ी चढ़ाई, जंगल के बीच से ट्रैकिंग, पहाड़ी नदियों को बिना तैरना जाने पार करना; हे भोलेनाथ, एक साथ इतना सारा एडवेंचर, मेरी तो मानो लॉटरी लग गयी। हम तो तीर्थ यात्रा के साथ-साथ एडवेंचर वाली ट्रैक करने जा रहे हैं, इसलिए, अन्तिम फैसला चेनारी उगहनी घाट का ही रास्ता चुना गया।

हमसब ने 9 जुलाई की सुबह को मिलने का निश्चय किया। कार्यालय में 9 जुलाई, रविवार की छुट्टी की अर्जी डाल दी, क्योंकि मेरा कार्यालयी अवकाश सोमवार को होता है। 7 और 8 बड़ी मुश्किल से बीते, हाँ इस बीच कुछ और सहकर्मियों ने भी यात्रा के लिए हामी भरी।

दिनांक 9 जुलाई 2017 को सुबह 4.00 बजे उठकर दैनिक क्रिया से निपट कर यात्रा का सामान तय किया, सामान क्या बस एक जोड़ी बाबा के नाम की केसरिया, 1 टॉर्च, 4 बैटरी (ड्यूरा सेल), गमछा, अपना कैनन कूलपिक्स कैमरा, दो प्लास्टिक थैली(पानी में कैमरा और कपड़ों की हिफाज़त के लिए)एक छोटी पीतल की लोटनी में हरिद्वार से लाया गंगा जल, इन सबको एक हैण्ड बैग में डाला, हेलमेट उठाया और जंग जीतने को तैयार हो गये ।

5.30 बजे घर पर चाय पीते हुए राकेश को फोन किया और उसे मन्दिर (कार्यालय) पहुंचने को बोल दिया। इधर धर्मपत्नी ने हैप्पी जर्नी विश किया और 5 मिनट में कार्यालय पर बाइक खड़ी कर दी। हनुमान जी की कृपा से मेरा कर्मक्षेत्र और धर्मक्षेत्र दोनों एक ही जगह है। हनूमान जी को प्रणाम किया, और सहयात्री का इंतजार करने लगा । पाँच मिनट में राकेश भी आ गया, पर एक सहकर्मी ने अन्तिम समय में चलने में असमर्थता जतायी जिससे करीब डेढ़ घंटा का समय व्यर्थ गया। अब मैने राकेश से चलने को कहा। 
.....तभी मेरे कार्यालय का एक और कर्मी जो भभूआ का रहनेवाला है, ने साथ चलने का आग्रह किया । मैने कहा- पाँच मिनट में तैयार हो।  वो बोला-  सर, हम तैयारे बानी.. हमार तो घर और ससुरार दुन्नो ओहिजे बा.. । 
.....07.45 बज चुके थेफिर काहे कि देरी.. राकेश और  मनजी  एक बाइक पर सवार हो गए, और मैने भी बाइक बढ़ा दी।
क्रमशः..
महावीर मन्दिर, पटना


उदवंतनगर के रास्ते में


हमारा पवनदुत

सोन नदी पर बना कोईलवर पुल

खुबसूरत दृश्य



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