Thursday, January 12, 2017

मकर संक्रांति की शुभकामनायें

साथियों नया साल आने की खुमारी अभी पुरी तरह से उतरी भी नहीं है, और भगवान माधव के पावन मास यानि माघ मास का प्रथम पर्व मकर संक्रांति कल 14. 01. 2017 को मनाया जायेगा। सभी इस तैयारी में लग गये की भई चूडा़ कौन सा ज्यादा अच्छा और स्वादिष्ट है किसी की राय में महीन चूडा़ तो कोई अरवा,  कोई सुगंधित बासमतीया के पीछे पडा़ है। दसियों किस्म का चूडा़ बाजार में देखकर कईयों ने तो अपने गॉव वाले रिश्तेदारों को भी लाला अमरनाथ ़़़़़ मतलब एक्सपर्ट कामंटेटर के रूप में बुला लिया है जो बीते ज़माने को याद करते हुए अपनी राय बताते हैं कि कैसे खेतों से खलिहानों तक आते आते धान से चूडा़ बनने का सफ़र तै होता था।


 वो ओखली मूसल की थाप,  वो घर की महिलाओं के द्वारा ढेकी पर धान कूटना,  गॉंव में धान से चूडा़ बदलने वालों का फेरा सब एक सुनहरे सपने की तरह कौंध जाता है। चूडा़ का अभिन्न मित्र दही,  यह तो दुल्हे का सहवाला है। संक्राति में इनकी फैन लिस्ट कम नहीं है और चूडा़ दही एक दजे के लिये ही बने हैं। दही तैयार  करने में भी बहुत संयम और अनुभव काम आता है।  जरा सी गलती हुई और आपके दूध का दूध ही रह जायेगा। हफ्तों पहले से दूध के जुगाड़ में सब लग जाते हैं मेरे जैसे लेट लतीफ जो समय पर यह कार्य नहीं कर पाते घर की होम मिनिस्ट्री से उलहाना ही पाते हैं और हम बेवजह शर्माजी से द्वैष कर लेते हैं कि कैसे जुगाड़ से वो भाबीजी यानि हमारी धर्मपत्नी के नजरों में संक्रांति के हीरो बन गये हैं।
 दही की बात निकले और हमारे हीराजी के गॉंव खगडि़या की दही की चर्चा न हो यह तो हो ही नहीं सकता। उनके गॉव का दही ऐसा कि अगर गोला बनाके दीवार पर फेकें तो वही चिपक जाये,  रंग बिल्कुल गुलाबी एकदम नये दो हजार की नोट की तरह, संभवत: मोदीजी ने भी वैसी ही दही खाई हो और प्रेरित हो गये हों। इसी पर्व से पता चलता है कि हमारे यहॉ रंगभेद क्यों नहीं है। चूडा़ और दही गोरे हैं पर उनका स्वाद निखरता है गुड़ यानि मीट्ठा के साथ। श्याम रंग का यह मीठे स्वाद वाला खाद्य पदार्थ पूरी तरह से देसी है यानि औरगैनिक। मीठे केतारी (गन्ने, ईख) के रस को लगातार उबालने के बाद गाढा़ जमा हुआ रूप अत्याधिक लाल होने के कारण भूरा हो जाता है। कुछ किस्म पीले भी होते हैं पर स्वाद लाजबाब ही होता है। सफेद तिल से बना तिलकूट, काले तिल का लट्ठा,  मस्का कितना कुछ है खाने को इसलिये आज ही खरीदना भी है। भई कल तो सुबह सुबह ही नहा-धोकर भगवानजी को धुप अगरबती के बाद इन सब चीजों का भोग लगा कर मस्त धूप में छत पर जाकर दही-चूडा़ गुड़ के साथ तिलकूट, लट्ठा, मस्का और फूलकोबी मटर आलू की मसालेदार सब्जी का आनंद लेगें और उड़ती पतंगो को देखेंगें। भई बडा़ मजा आयेगा पूरे परिवार के साथ। तो भाईयों आप सब भी मजा लेने के लिये तैयारी शुरू कर लीजिये वरना अपने शर्माजी कहीं हीरो ना बन जायें। 
शुभकामना मित्रों। 

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर पढने से ही लगता है कि शायद आज ही तो नहीं मकर संक्रान्ति का अवसर है?

    ReplyDelete